Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2021 · 1 min read

**Largesse and it’s emphasis in world**

Explore real world,
Which is static in your body,
You can never search it whole,
you can never understand it,
It’s only key for awakening it,
Largesse,
By which you find,
The perpetual and inner world,
And differences in both,outer and inner,
Which is instilled in you,
The same, according your nature,
You get it in visible world,
This is the result of your insight,
Therefore,you, first,know,
Your inner world,
What it demand,
If ugly and sordid,
Then,you repair it,
With your practice,dexterity and moral courage,
It is the way,
Which goes to light from black.

©Abhishek Parashar💐💐💐💐💐

Language: English
Tag: Poem
1 Like · 291 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुरझाए चेहरे फिर खिलेंगे, तू वक्त तो दे उसे
मुरझाए चेहरे फिर खिलेंगे, तू वक्त तो दे उसे
Chandra Kanta Shaw
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
संस्कार का गहना
संस्कार का गहना
Sandeep Pande
"छोटी चीजें"
Dr. Kishan tandon kranti
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
surenderpal vaidya
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
'अशांत' शेखर
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
SATPAL CHAUHAN
दूर ...के सम्बंधों की बात ही हमलोग करना नहीं चाहते ......और
दूर ...के सम्बंधों की बात ही हमलोग करना नहीं चाहते ......और
DrLakshman Jha Parimal
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुख दुख
सुख दुख
Sûrëkhâ Rãthí
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
Fuzail Sardhanvi
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
दूजी खातून का
दूजी खातून का
Satish Srijan
सूरज को ले आता कौन?
सूरज को ले आता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
*ऊन (बाल कविता)*
*ऊन (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
नारी के हर रूप को
नारी के हर रूप को
Dr fauzia Naseem shad
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
धीरे धीरे  निकल  रहे  हो तुम दिल से.....
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
Rakesh Singh
■ आज का मशवरा...
■ आज का मशवरा...
*Author प्रणय प्रभात*
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
होली
होली
Madhavi Srivastava
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
Subhash Singhai
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
Ravi Yadav
अभी और कभी
अभी और कभी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...